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यह भी दुनिया नहीं जानती कि हम सभी श्रापित हैं ।
तुम सभी हो मुझ माशूक के आशिक , इस एक जन्म में ही तुम मेरे आशिक बनते हो |
तुम अभी जानते हो स्वर्ग में हीरे जवाहरों के कितने महल थे । भक्ति मार्ग में कितना अनगिनत धन था |
जीवनमुक्ति
मुक्ति
कृपा
तुम भी सारा चक्र लगाते हो फिर शिवबाबा से वर्सा पाते हो ।
तुम भी पहले ऐसे ही अन्धश्रद्धा में थे |
कितनी समझने की बातें हैं ।
चित्रों में क्लियर कर समझाने से
अपने को आत्मा समझने से
बाप की अद्वैत मत पर चलने से
बाप की याद में रहकर
जब झाड़ जड़जड़ीभूत अवस्था को पाता है |
जब कोई की मृत्यु होती है |
जब कोई सन्यास लेते हैं |
यह कहना भक्ति मार्ग वालों का ही है |
पवित्रता से
याद से
ज्ञान से
श्रीमत पर चलने से
माया
विकारी
धोखाधड़ी करने वाले को
पतित
शिवबाबा को
ब्रह्मा बाबा को
अपनी एक्युरेट एम ऑब्जेक्ट को
शुद्ध संकल्प
योगबल
निराकारी स्वरुप
पूज्य स्वरुप