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समेटकर
समाकर
सहनकर
सही
गलत
बाबा आया है श्रीमत देकर रावण से लिबरेट करने के लिए। श्री श्री 108 जगतगुरू का टाइटल भी इनका है, जगत की सद्गति करते हैं।
अभी तुमको जो नॉलेज मिल रही है यह परम्परा नहीं चलती, यहाँ ही खलास हो जाती है। पीछे जो शास्त्र आदि बनाते हैं वह परम्परा से चलते हैं।
परमात्मा कहते हैं सभी मेरी सन्तान हैं, सबको वापिस ले जाने लिए आया हूँ। परन्तु सम्मुख तो बच्चे सुनते हैं, सारी दुनिया नहीं सुनती।
तुम्हारा है सारी आसुरी-दुनिया नर्क का सन्यास। सन्यासियों का है घर का सन्यास। तुमको इस डर्टी दुनिया नर्क को भूलना है।
बाप की श्रीमत पर चल, देही-अभिमानी बन बाप के गले का हार बनना है।
बाप की याद में रह अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करना है।
इस दुनिया से पूरा नष्टोमोहा नही बनना है।
किसी के भी छी-छी शरीरों को याद नहीं करना है।
सही
गलत
विघ्न
विकार
कष्ट
दुश्मन